Astrology:ज्योतिष में मंगल ग्रह का महत्व और शुभ-अशुभ प्रभाव

मंगल (Mars) ग्रह को नवग्रहों का सेनापति माना गया है. ज्योतिष (Astrology) के अनुसार मंगल की प्रकृति उग्र क्रूर मानी गई है.

यदि आपकी कुंडली (Kundali) में मंगल ग्रह (Mars) मजबूत है तो आपका भाग्योदय हो सकता है. मंगल ग्रह साहस, शक्ति, परिश्रम आदि का कारक ग्रह माना जाता है. मजबूत मंगल आपके पराक्रम को बढ़ाता है. मजबूत मंगल आपके जीवन में मंगल करता है, आपके लिए शुभदायक और फलदायक होता है. यदि मंगल कमजोर है तो आपको घमंडी बना देता है. आपके काम खराब होने लगते हैं और कई प्रकार के रोग भी आपको जकड़ लेते हैं. आइए जानते हैं कि मंगल ग्रह को किन आसान उपायों से मजबूत कर सकते हैं.  

पौराणिक कया

मंगल ग्रह के जन्म और उत्पत्ति को लेकर वेद, पुराण और ज्योतिष शास्त्र में अनेक कथाओं का वर्णन है। इन कथाओं के अनुसार वामन पुराण में बताया गया है कि जब भगवान शंकर ने महासुर अंधक का वध किया तब मंगल ग्रह का जन्म हुआ। महाभारत कथा के अनुसार मंगल ग्रह का जन्म भगवान कार्तिकेय के शरीर से हुआ था। वराह कल्प के अनुसार जब हिरण्यकश्यप के बड़े भाई हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को अपने अधिकार में कर लिया तब पृथ्वी की रक्षा के लिये भगवान विष्णु ने वारह अवतार लिया तथा हिरण्याक्ष को मारकर पृथ्वी माता को जीवनदान दिया। भगवान के इस पराक्रम को देखकर पृथ्वी माता अत्यन्त प्रसन्न हुई और उन्होंने मन ही मन भगवान विष्णु को पतिरूप में चरण कर उन्होको प्रकट की। पृथ्वी माता की कामना पूर्ण करने के लिये करोडों सूयों की तेज रूप वाले भगवान अपने मनोरम रूप मे आए और पृथ्वी माता के साथ एक वर्ष तक एकान्त में रहे। इसी कारण पृथ्वी माता और भगवान शंकर के संयोग से मंगल ग्रह की उत्पत्ति हुई। इस प्रकार विभिन्न कल्पों में मंगल ग्रह की उत्पत्ति की विभिन्न कथाएं वर्णित हैं।

4. वैज्ञानिक दृष्टिकोण

पृथ्वी से मंगल की दूरी दस करोड बांसठ लाख पांच हजार (106205000) किलोमीटर हैं जबकि सूर्य से इसकी दूरी तैबीस करोड सैंतीस लाख उनपचास हजार चार सौ साठ (233749460) किलोमीटर हैं। हर 15 वे वर्ष यह पृथ्वी के अत्यन्त करीब आ जाता है, उस समय पृथ्वी से इसकी दूरी पांच करोड इक्यावन लाख छह हजार (55106000) किमी. होती हैं।

जिस भी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह उच्च स्थान पर होता है, वे लोग निडर, तेज और पराक्रमी होते हैं। कोई भी निर्णय लेने में संकोच नहीं करते हैं। कठिन परिस्थितियों का मुकाबला वे डटकर करते हैं। मंगल ग्रह को आवेश और ऊर्जा का कारक माना जाता है। जिनकी कुंडली में नीच का मंगल होता है, उनका जीवन सुखमय नहीं होता है। उनके जीवन में दुर्घटना की आशंका बनती है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, कुंडली में जब मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें और बारहवें भाव में हो तो मांगलिक दोष का निर्माण होता है। ऐसे लोगों की कुंडली मांगलिक होती है। उनके विवाह में देरी होती है।

  • कुंडली में मंगल ग्रह को मजबूत बनाने के लिए मंगलवार के दिन किसी हनुमान मंदिर में जाकर ध्वजा चढ़ानी चाहिए. मान्यता है कि पांच मंगलवार तक ध्वजा के इस उपाय को करने पर सभी संकट दूर होते हैं और सुख–समृद्धि की प्राप्ति होती है.
  • यदि आपकी कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर हो या फिर कहें मंगल दोष हो तो उसकी अशुभता को दूर करने के लिए उज्जैन स्थित मंगलदेव मंदिर में जाकर विशेष भात पूजा करवाएं. मान्यता है कि मंगलदेव की विधि–विधान से पूजा करवाने पर जीवन से जुड़ा सारा अमंगल दूर हो जाता है.
  • ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह की शुभता को पाने के लिए मंगलवार का विधि–विधान से व्रत रखना चाहिए. साथ ही साथ मंगलवार के दिन किसी भी हनुमान मंदिर में जाकर नारियल, सिंदूर, चमेली का तेल, इत्र, लाल फूल की माला, मीठा पान और गुड़ चना चढ़ाना चाहिए.
  • सनातन पंरपरा में किसी भी देवता या ग्रह की शुभता को पाने के लिए दान को उत्तम उपाय बताया गया है. ऐसे में मंगल ग्रह की शुभता को पाने के लिए मंगलवार के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को लाल मसूर की दाल, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, तांबा, लाल चंदन, और लाल रंग की मिठाई आदि का दान करें. इसके साथ यदि संभव हो तो बंदरों को गुड़ और चना जरूर खिलाएं

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