2nd House in Kundli

3rd House Kundali – कुंडली का तृतीय भाव में ग्रह का महत्व

आज हम कुंडली के तीसरे भाव के बारे में जानेंगे। तृतीय भाव आपके साहस-पराक्रम, संवाद शैली, छोटे भाई बहनों के साथ आपके संबंधों के बारे में बताता है। आपका किसी भी काम को करने का तरीका भी इस भाव को देखकर पता चल जाता है। आइए जानते हैं कि तृतीय भाव का व्यक्ति के जीवन में क्या योगदान होता है।

कुंडली में तीसरा भाव  भाई बहन का घर होता है। यह संवाद, मानसिक स्थिति, बुद्धि, यात्रा, कल्पना और व्यवहार के बारे में संकेत देता है। इसके जरिए जातक अपनी कलात्मक रुचियों व क्षमताओं के बारे में जानकारी हासिल कर सकता है। तीसरा भाव आपकी संवाद क्षमताओं को नियंत्रित करता है और यह बताता है कि आप दूसरों के साथ कैसे बातचीत करते हैं। वैदिक ज्योतिष में इसका दूसरा नाम सहज भाव है।

यदि किसी जातक की कुंडली में तृतीय भाव मजबूत स्थिति में होता है तो उनको लेखन के क्षेत्र में सफलता मिलती है। ऐसे लोग अपने विचारों को बेहतरीन तरीके से पन्नों पर उतार पाते हैं। इसके साथ ही इंटरनेट से जुड़ी नौकरियों में भी ऐसे जातकों को सफलता प्राप्त हो सकती है, इलेक्ट्रोनिक मीडिया, होटल इंडस्ट्री आदि में भी ऐसे लोग सफल हो सकते हैं। ऐसे लोग तकनीकी रूप से भी काफी अच्छे होते हैं इसलिए तकनीकी उपकरण जैसे फोन, कंप्यूटर आदि से जुड़े कामों को भी यह अच्छे तरीके से कर सकते हैं।

 मंगल ग्रह तृतीय भाव का स्वामी होता है, लेकिन बुध ग्रह भी इस भाव को नियंत्रित करता है। इसलिए व्यक्ति पर इन दोनों ग्रहों का मिश्रित प्रभाव देखने को मिलता है। यह भाव नवम भाव के स्वामी और एकादश भाव के स्वामी के माध्यम से सक्रिय होते हैं। यदि ये दोनों भाव खाली होते है तो, तृतीय भाव निष्क्रिय या सामान्य रहता है। यह किसी भी प्रकार का फल प्रदान नहीं करता है।

कुंडली के तृतीय भाव पर बुध ग्रह का प्रभाव माना जाता है क्योंकि यह भाव मिथुन राशि का होता है जिसका स्वामी ग्रह बुध है। तीसरा भाव मजबूत होने की वजह से ऐसे लोगों की पारिवारिक स्थिति भी अच्छी हो सकती है, छोटे भाई-बहनों के साथ ऐसे लोगों के संबंध अच्छे होते हैं। वहीं, यदि आपकी कुंडली में तृतीय भाव मजबूत अवस्था में नहीं है तो आपको फैसले लेने में दिक्कत हो सकती है, आपमें डर की भावना भी हो सकता है। भाई-बहनों के साथ भी मनमुटाव हो सकते हैं।

आत्महत्या करने वाले लोगों में तृतीय भाव के स्वामी का महत्वपूर्ण योगदान होता है जब तृतीयेश एवं लग्नेश शुभ अथवा अशुभ अष्टम भाव तथा अष्टमेश दोनों से संबंध स्थापित करते हो और अष्टम तथा अष्टमेश पर अन्य ग्रहों का कोई प्रभाव ना हो तो मनुष्य आत्मघात द्वारा प्राणों का त्याग करता है ।

यदि तीसरा भाव मजबूत हो और किसी अच्छे ग्रह के प्रभाव में हो तो ऎसी स्थिति में जातक परिश्रम करने से अपने जीवन काल में अपने भाईयों, दोस्तों की सहायता भी खूब पाता है. अपनी मेहन और साहस से जातक खूब सफलताएं पाता है. लोगों का पूर्ण सहयोग भी जातक को ऊंचाईयां छूने में मददगार होता है.

समर्थकों के सहयोग से सफलतायें प्राप्त करते हैं, जबकि दूसरी ओर यदि जातक की कुंडली में तीसरे भाव पर अशुभ बुरे ग्रहों का प्रभाव हो तो ऐसे व्यक्ति अपने जीवन काल में अपने भाईयों तथा दोस्तों के कारण बार-बार हानि उठाते हैं तथा इनके दोस्त या भाई इनके साथ बहुत जरुरत के समय पर विश्वासघात भी कर सकते हैं.

लाल किताब के अनुसार तृतीय भाव

लाल किताब के अनुसार, तृतीय भाव भाई-बहन, संधि या समझौता, आपके हाथ, मजबूती, कलाई, युद्ध क्षेत्र, रिश्तेदार और घर की साज-सज्जा को दर्शाता है।

ज्योतिष ग्रन्थों के अनुसार, मंगल ग्रह तृतीय भाव का स्वामी होता लेकिन बुध ग्रह भी इस भाव को नियंत्रित करता है। इसलिए व्यक्ति पर इन दोनों ग्रहों का मिश्रित प्रभाव देखने को मिलता है। यह भाव नवम भाव के स्वामी और एकादश भाव के स्वामी के माध्यम से सक्रिय होते हैं। यदि ये दोनों भाव खाली होते है तो, तृतीय भाव निष्क्रिय या सामान्य रहता है। यह किसी भी प्रकार का फल प्रदान नहीं करता है।

तृतीय भाव एक प्रमुख भाव है, क्योंकि यह हमारे संदेश को बाहर की दुनिया और मित्रों के बीच, सोशल मीडिया, मनोरंजन, ऑनलाइन माध्यम, सेलफोन, स्मार्टफोन या संचार के अन्य किसी उपकरण के द्वारा प्रसारित करता है, इसलिए यह एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है।