2nd House in Kundli

2nd House in Kundli – वैदिक ज्योतिष में कुंडली के दूसरा भाव में क्या देखा जाता है?

ज्योतिष में हर भाव का अपना अलग महत्व होता है। इसलिए व्यक्ति के बारे में संपूर्ण जानकारी देने से पहले ज्योतिषी हर भाव पर दृष्टि डालता है। अपने पिछले Video में हमने आपको प्रथम भाव के बारे में जानकारी दी थी। आज अपने इस Video में हम आपको बताएंगे कि ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के द्वितीय भाव का क्या महत्व होता है और इससे आपके जीवन के किस पक्ष को देखा जाता है। 

कुंडली के द्वितीय भाव को धन भाव कहा जाता है और इससे आपकी आर्थिक स्थिति के अलावा आपके पारिवारिक जीवन और वाणी के बारे में विचार किया जाता है। 

कु़ंडली के द्वितीय भाव के गुण

जिस जातक की कुंडली का द्वितीय भाव मजबूत होता है यानि इसमें शुभ ग्रह विराजमान हों या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति की वाणी में तेज देखा जाता है। ऐसा जातक अपनी वाणी से समाज में परिवर्तन ला सकता है। इसके साथ ही यह भाव धन और परिवार का भी होता है इसलिए द्वितीय भाव की मजबूती व्यक्ति को धन और पारिवारिक जीवन में सुख प्रदान करती है। वहीं यदि यह भाव दुर्बल हो तो व्यक्ति अपनी बात को स्पष्टता से नहीं रख पाता और उसे पारिवारिक जीवन मेंं भी परेशानी होती है। 

द्नितीय भाव से आपके शरीर के अंगों की जानकारी

इस भाव से व्यक्ति की दाईं आँख, भोजन, चेहरा आदि के बारे में भी पता चलता है। व्यक्ति के ग्रहण करने की क्षमता या उसके सीखने की गति क्या होगी इसके बारे में भी यह भाव बताता है। इस भाव में यदि शुभ ग्रह जैसे- शुक्र, बृहस्पति विराजमान हैं तो व्यक्ति आकर्षक होता है। ऐसे लोग किसी भी चीज को तुरंत सीख लेते हैं। वहीं यदि यह भाव दुर्बल हो तो किसी भी चीज को सीखने में व्यक्ति को बहुत समय लग सकता है।

द्वितीय भाव की मजबूती दिलाती है इन क्षेत्रों में सफलता

यदि किसी जातक की कुंडली में बुध ग्रह मजबूत है, जिसे की वाणी का कारक ग्रह माना जाता है और द्वितीय भाव पर भी शुभ ग्रहों की दृष्टि है तो व्यक्ति कला के क्षेत्र में अच्छा नाम कमा सकता है। ऐसे लोगों की आवाज में मिठास होती है। यह लोग सामाजिक स्तर पर भी अपनी वाणी से लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। वहीं बुध यदि पीड़ित हो तो व्यक्ति को बोलने में दिक्कतें आ सकती हैं। ऐसे लोगों को हकलाने की परेशानी भी हो सकती है। 

 कुंडली मे द्वितीय भाव का स्वामी यदि **लग्न में स्थित हो तो जातक धनी तथा परिवार में रहने वाला होता है। जातक व्यवसाय द्वारा लाभ प्राप्त करता है

किसी भी जातक /जातिका की कुंडली में** द्वितीय भाव पर **शुभ ग्रह या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो उस व्यक्ति के अमीर बनने में कोई रूकावट नहीं होती। लेकिन यदि कुंडली में द्वितीय भाव में बुध हो और उसपर चंद्रमा की दृष्टि हो तो जातक जीवनभर मेहनत करने पर भी पूर्ण सफलता नही मिलती है

यदि दूसरे भाव का स्वामी पाप ग्रह से युक्त हो और धन भाव में पाप ग्रह विद्यमान हो तो ऐसा जातक झूठ बोलने वाला व निर्धन होता है

द्वितीय भाव से छोटे भाई के द्वारा उपहार आदि का विश्लेषण किया जा सकता है.  

द्वितीयेश और एकादशेश की युति व्यक्ति को अचानक से धनी बनाती है. 

लाल किताब के अनुसार द्वितीय भाव

लाल किताब के अनुसार द्वितीय भाव ससुराल पक्ष और उनके परिवार, धन, सोना, खजाना, अर्जित धन, धार्मिक स्थान, गौशाला, कीमती पत्थर और परिवार को दर्शाता है।

लाल किताब के अनुसार, कुंडली के द्वितीय भाव की सक्रियता के लिए नवम या दशम भाव में किसी ग्रह को उपस्थित होना चाहिए। यदि नवम और दशम भाव में कोई ग्रह नहीं रहता है तो द्वितीय भाव की निष्क्रियता बरकरार रहती है, फिर चाहें कोई शुभ ग्रह भी इस भाव में क्यों न बैठा हुआ हो।

कुंडली में द्वितीय भाव एक महत्वपूर्ण भाव है। क्योंकि यह हमारे जीवन जीने की शैली, संपत्ति की खरीद, समाज में धन और भौतिक सुखों से मिलने वाली पहचान को दर्शाता है। द्वितीय भाव से यह निर्धारित होता है कि आपके द्वारा अर्जित धन से आप समाज में किस सम्मान के हकदार होंगे।