जन्म पत्रिका एवं भाव
आकाश को बारह भागों में बाँटा गया है। आकाश के नक्शे को जन्म पत्रिका कहते हैं। इस प्रकार जन्म पत्रिका के वह भी 12 भाग होते हैं। इन भागों को भाव कहते हैं। इल बारह भागों में जो ग्रह जिस समय जहां स्थित होता है, जन्म पत्रिका में उस जगह के भाव में लिख दिया जाता है। जन्म पत्रिका में जहां जो ग्रह घूम रहे हैं, जिन राशियों में है वे जन्म पत्रिका में अंकित किये जाते हैं।
आकाश के 360 अंश के चक्र के 12 भाग करने से प्रत्येक भाग 30 अंश का होता है। इसी प्रकार जन्म पत्रिका में भी प्रत्येक भाव के 30 अंश होते हैं।
जन्म पत्रिका के दिये गये क्रमांक पत्रिका में भिन्न-भिन्न स्थानों को प्रदर्शित करते हैं। जहां प्रथम लिखा है वह लग्न या प्रथम भाव हैं। द्वितीय लिखा है वहां दूसरा भाव होता हैं, इसी प्रकार प्रत्येक पत्रिका में
ज्योतिष शास्त्र में कुंडली को किसी व्यक्ति के जीवन का आंकलन करने का दस्तावेज माना जाता है। जन्म कुंडली के माध्यम से व्यक्ति के भविष्य, भूत और वर्तमान को जाना जा सकता है। इसलिए अपने बारे में जानने के लिए लोग अपनी कुंडली को लेकर किसी ज्योतिषी के पास जाते हैं। लेकिन आज हम आपको कुंडली देखने का आसान तरीका बता रहे हैं, जिसके माध्यम से आप स्वयं की कुंडली को देखकर अपने आने वाले कल को जान सकते हैं।
जन्म कुंडली का प्रथम भाव-
कुंडली के प्रथम भाव को लग्न भाव भी कहते हैं। प्रथम भाव इसलिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह व्यक्ति के व्यक्तित्व को दर्शाता है। यह मनुष्य के स्वभाव, मान-सम्मान, आयु, सुख और यश की जानकारी देता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मनुष्य के जन्म के समय जो राशि उदय होती है वह ही राशि मनुष्य की लग्न राशि होती है। उदाहरण के लिए अगर व्यक्ति के जन्म के समय मकर राशि का उदय हो रहा है। तब लग्न राशि मकर राशि ही होगी। व्यक्ति के जीवन की प्रत्येक दशा लग्न भाव पर निर्भर होती है।
कुंडली के प्रथम भाव के गुण-
- कुंडली के लग्न भाव या प्रथम भाव से मनुष्य के व्यक्तित्व और स्वभाव के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
- लग्न भाव से यह भी पता चलता है जीवन में व्यक्ति के क्या महत्वपूर्ण होगा।
- यदि लग्न भाव पर शुभ ग्रहों का प्रभाव या उसमें शुभ ग्रह विराजित होते हैं।
- तब व्यक्ति समाज के साथ जुड़ा हुआ होता है और दयालु स्वभाव का दूसरे इंसान की हमेसा मदद करता है।
- अगर प्रथम भाव में क्रूर ग्रह अपनी जगह बना लेते हैं तब व्यक्ति क्रूर स्वभाव का हो जाता है।
- लग्न भाव से यह भी पता चलता है कि व्यक्ति के शरीर के रेखाचित्र का भी पता चलता है।
- इसी भाव से व्यक्ति की आयु के बारे में पता लगाया जाता है।
- कुंडली के प्रथम भाव में चंद्रमा, शनि,सूर्य लग्न भाव के स्वामी के साथ स्थित होता है।
- तब व्यक्ति की आयु लंबी होती है अतः व्यक्ति दीर्घजीवी होता है।
कुंडली के प्रथम भाव से जीवन की जानकारी-
- प्रथम भाव से व्यक्ति के बुद्धि- विवेक हुए कौशल के बारे पता चलता है।
- अगर प्रथम भाव में शुभ ग्रहों के प्रभाव में आता है तो ऐसे व्यक्ति की तार्किक क्षमता अत्यधिक प्रबल होती है।
- प्रथम भाव से यह भी पता चलता है कि आपका प्रारंभिक जीवन कैसा बीतेगा।
- इस भाव से समाज में व्यक्ति की स्थिति का भी आकलन किया जाता है।
जीवन के प्रथम 25 वर्षो की आयु का ज्ञान इस भाव से प्राप्त होता है।
6. जातक के कार्य क्षेत्र का ज्ञान, परिश्रम और प्रयत्नों का
बोध लग्न से होता है।
7. जातक अपने जीवन मे किस उंचाई तक पहुंचेगा, नौकरी या
सफलता प्राप्त करेगा, इसका बोध भी लग्न से होता है।
8. लग्न जातक की आध्यात्मिकता का मापदंड़ होता है।
जातक में कितना अहम् और अभिमान है इसका बोध भी लग्न से होता है।
. मिथुन, तुला, कुंभ और कन्या राशि इस भाव में बलवान मानी गई हैं।
10. सूर्य प्रथम भाव का कारक ग्रह है या अतः इस स्थान में सूर्य विशेष शुभकारी होता है। 11. लग्न का अग्नि तत्व होता हैं।