ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों की बहुत महत्व बताया गया है. नव ग्रहों में शनि ग्रह एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है. ये ग्रह व्यक्ति के जीवन में सबसे ज्यादा प्रभाव डालता है. ये ग्रह सबसे धीमी चाल से चलने वाला ग्रह होता है जिसके कारण इसका शुभ-अशुभ प्रभाव सबसे ज्यादा समय तक रहता है. शनि ग्रह किसी एक राशि में करीब ढाई साल तक रहते हैं. अगर किसी जातक की कुंडली में शनि शुभ होते हैं तो वह व्यक्ति अपने जीवन काल में बहुत तरक्की करता है. वहीं अगर किसी जातक की कुंडली में शनि की स्थिति खराब होती है तो उसको शारीरिक, आर्थिक, मानसिक और दूसरी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. शनि देव न्याय और कृपा के देवता कहे जाते हैं. लेकिन अगर कुंडली में शनि कमजोर है तो इसका नकारात्मक और अशुभ प्रभाव पड़ता है.
पौराणिक कथा
शनिदेव भगवान सूर्य और छाया के पुत्र हैं। शनि को , लोगों और ज्योतिष के अनुसार एk क्रूर ग्रह माना जाता हैं। लेकिन ब्रह्मपुराण के अनुसार शनि ग्रह बचपन से ही भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे। य हमेशा श्रीकृष्ण भक्ति में डूबे रहते थे। युवा होने पर इनके पिता ने चित्ररथ नाम की कन्या से इनका विवाह कर दिया।चित्ररथ पतिव्रत, परम साध्वी और तेजस्विनी थी। एक दिन वह पुत्र इच्छा की कामना लिये शनिदेव के पास पहुंची, जब काफी इंतजार के बाद शनिदेव जागृत अवस्था में नहीं आए तो इनकी पत्नी चित्ररथ प्रतीक्षा करके कर कर हार गई तथा क्रोधित होकर उसने शनिदेव को श्राप दे दिया कि आज से तुम ध्यान भंग होने पर शनिदेव ने अपनी पत्नी को मनाया लेकिन यह श्राप को वापस लेने से असमर्थ थी तथा अपनी गलती पर उन्हें पश्चाताप भी हुआ तभी से शनि देवता अपना मस्तक नीचा करके रहने लगे, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनके कारण किसी व्यक्ति का अनिष्ट हों।
कर्मों के आधार पर फल देते हैं शनि
शनि व्यक्ति को उसके द्वारा किए गए कर्मों के आधार पर फल देते हैं. शनि की दशा, महादशा, शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष का प्रभाव व्यक्ति के ऊपर देखने को मिलता है. किसी जातक की कुंडली में शनि की पोजिशन खराब होती है तो उस व्यक्ति को शारीरिक, आर्थिक, मानसिक और अन्य दूसरी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसी मान्यता है कि शनिदेव गरीबों और असहायों पर कृपा रखते हैं. जो व्यक्ति हमेशा गरीबों की मदद करते हैं शनिदेव उन पर हमेशा अपनी कृपा रखते हैं तो वहीं जो लोग गरीबों और असहायों को परेशान करते हैं उन्हें शनिदेव के कोप का शिकार करना पड़ता है.
1-करियर और कामकाज में डालते हैं बुरा प्रभाव
जब भी किसी जातक की कुंडली में शनि का स्थान कमजोर होता है तो उस व्यक्ति को नौकरी या फिर बिजनेस में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अगर कुंडली में शनि कमजोर है तो व्यक्ति बहुत कोशिशों के बाद भी सफल नहीं होता. बहुत सी बाधाएं आकर खड़ी हो जाती हैं. बिजनेस में घाटा होता है.नौकरी में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
2-बिगड़ती है आर्थिक स्थिति
जब भी किसी जातक की कुंडली में शनि ग्रह कमजोर होते हैं तो उस व्यक्ति को उसे आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. व्यक्ति के ऊपर लगातार कर्ज का बोझ बढ़ता जाता है. पैसे की तंगी बनी रहती है और बनते काम भी बिगड़ जाते हैं. काफी मेहनत के बाद ही उसे धन मिलता है.
3-कर्म प्रधान हैं शनि
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि को कर्म प्रधान ग्रह माना गया है. शनि देव व्यक्ति को पिछले जन्मों में किए गए कामों के आधार पर ही फल देते हैं. किसी जातक की कुंडली में शनि कमजोर होकर विराजमान होते हैं तो व्यक्ति को कई चुनौतियों से लड़ने की क्षमता का भी बोध कराते हैं. इस ग्रह को जीवन में आने वाले सभी तरह के बदलावों का केंद्र बिंदु माना जाता है.
4-सेहत पर असर
शनि के खराब होने पर व्यक्ति को जहां आर्थिक और मानसिक रूप से कष्ट उठाने पड़ते हैं वहीं स्वास्थ्य संबंधी तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शरीर में तरह-तरह की बीमारियां घेर लेती है जिससे व्यक्ति को आर्थिक और मानसिक दोनों ही तरह की चोट पड़ती है।
5-रिश्तों में तनाव
जब भी किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि कमजोर होते हैं तो व्यक्ति के पारिवारिक और व्यक्तिगत संबंधों में गिरावट देखने को मिलती है. आपसी रिश्तों में तनाव और खटास बढ़ती ही जाती है. परिवार के सदस्यों के बीच मनमुटाव बढ़ जाता है. शनि का होना किसी भी ग्रह में शुभ नहीं माना जाता है.
शनि दोष दूर करने के उपाय
- शनि ग्रह शांति के लिए कई उपाय किये जाते हैं. इनमें शनिवार का व्रत, हनुमान जी की आराधना, शनि मंत्र, शनि यंत्र, छायापात्र दान करना प्रमुख उपाय हैं. शनि कर्म भाव का स्वामी है इसलिए शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए.
- एक काजल की डिब्बी लीजिए और भोलेनाथ का नाम लेते हुए शनि दोष से पीड़ित व्यक्ति के ऊपर से 21 बार इस डिब्बी को उतार लीजिए. अब एकांत में जाकर किसी पेड़ के नीचे एक छोटा गड्ढा खोद कर उसे दबा दीजिए. इससे शनि की कुद्रष्टि दूर होती है.
- शनि देव की कृपा प्राप्त करने के लिए मजदूरों की सेवा करना और उन्हें खाने-पीने का सामान देना उत्तम होता है. कुत्तों और कौओं की सेवा करने से शनि देव का दुष्प्रभाव कम होता है.
- हर शनिवार के दिन एक लोहे के कटोरे में साबुत उड़द, काले चने और सरसों का तेल मिलाकर एक साथ डाल दें. अब इसे कपड़े में लपेटकर उस पर वह कटोरा रख दें और अपने माथे पर लगा कर इसे दान देना शुरू करें. इससे शनि दोष कम होता है.
- शनि दोष से छुटकारा पाने के लिए हर दिन सुबह उठ कर स्नान करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें. थोड़े से जल में दूध और दो दाने चीनी के डालकर बड़ के पेड़ पर चढ़ाकर गीली मिट्टी का तिलक लगाएं. इससे शनि की कृपा मिलती है.