बृहस्पति ग्रह (Jupiter Planet) को देव ग्रह माना जाता है. नौ ग्रहों में बृहस्पति ग्रह को राजा माना जाता है। ज्योतिष में इस ग्रह को सबसे शुभ ग्रह का दर्जा प्राप्त है।
बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं और दैत्य गुरु शुक्राचार्य के कट्टर विरोधी हैं। भारद्वाज गोत्र के सभी ब्राह्मण इनके वंशज माने जाते हैं।
कहा जाता है कि कुंडली में गुरु ग्रह का कमजोर स्थिति में होना व्यक्ति की शादी में देरी का कारण बनता है। साथ ही, कई बार धन संकट जैसी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। वहीं, शिक्षा में आ रही बाधाएं, या फिर बार-बार कोशिशों के बाद भी सफलता हाथ नहीं लगती,
जीवन में गुरु के महत्व से हम सभी परिचित हैं। माता-पिता के बाद गुरु को ही भगवान का दर्जा दिया गया है। गुरु ज्ञान का द्वार होता है और ज्ञान ही हमारे जीवन में प्रकाश लाता है। सौर्य मंडल में भी सूर्य के बाद गुरु सबसे बड़ा ग्रह माना गया है। कुंडली में भी गुरु (बृहस्पति) की दशा पर जीवन में मिलने वाले शुभ और अशुभ फल निर्भर करते हैं।
बृहस्पति धनु और मीन राशि का स्वामी है। यह कर्क राशि में 5 डिग्री उच्च का तथा मकर में 5 डिग्री नीच का होता है। इसका मूल त्रिकोण राशि धनु है। बृहस्पति ज्ञान और खुशी का दाता है।
गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और भगवान बृहस्पति की पूजा-आराधना की जाती है। इस दौरान महिलाएं व्रत भी रखती हैं ताकि कुंडली में गुरु ग्रह को मजबूत किया जा सके।
गुरु का बल कुंडली में होने से व्यक्ति का मानसिक और आर्थिक स्थिति मजबूत रहता है। यदि किसी की कुंडली में गुरु कमजोर होता है, तो उसके जीवन में कुछ घटनाएं और परेशानियां हो सकती हैं।
पौराणिक कथा
बृहस्पति ग्रह की उत्पत्ति के संबंध में वायु पुराण में कहा गया है कि ये महर्षि अंगीरा के पुत्र है और इनकी माता का नाम सुनयना है। गुरु बृहस्पति वृद्धि तथा उत्तम वाक शक्ति के स्वामी हैं। इनकी बहन का नाम योग सिद्धा है।
ऋग्वेद के अनुसार वृहस्पति अत्यन्त सुन्दर हैं। इनका आवास सोने से बना हुआ है। समस्त विश्व के लिये वृहस्पति वंदनीय हैं। देवगुरु बृहस्पति की दो पत्नियां हैं। एक का नाम शुभा और दूसरी का तारा हैं। शुभा से वृहस्पति को सात कन्यांए हुई। तारा से वृहस्पति को सात पुत्र तथा एक कन्या प्राप्त हुई। उनकी एक और तीसरी पत्नी ममता थी जिससे उन्हे भरद्वाज और कच नामक दो पुत्र प्राप्त हुए। बृहस्पति के अधिदेवता इन्द्र और प्रत्यधि देवता ब्रह्मा हैं।
पुराणों और वेदों के अनुसार बृहस्पति समस्त देवी-देवताओं के परामर्शदाता गुरू माने जाते हैं। शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि बृहस्पति सत्य के प्रतीक हैं पौराणिक संदर्भों में वृहस्पति को सभी ग्रहों में बलशाली एवं अत्यन्त शुभ माना जाने वाला, सम्पत्ति एवं ज्ञान का प्रदाता और मानवता का हितैषी माना जाता है। वह अपने शत्रुओ को पराजित करते हुए उनका सुरक्षा कवच नष्ट करते हैं। वृहस्पति ने ऋग्वेद का एक अध्याय भी लिखा है।
4. वैज्ञानिक दृष्टिकोण
गुरू ग्रह की पृथ्वी से दूरी उनसाठ करोड छह लाख सत्ताइस हजार सात सौ अस्सी किलोमीटर (590627780) हैं। इसका औसत व्यास एक लाख बयालीस हजार नौ सो चोरासी किलोमीटर हैं।
बृहस्पति के कमजोर होने के संकेत जानें-
- अगर धन प्राप्ति में बाधा आने लगे और किसी का सहयोग भी प्राप्त न हो, तो समझ जाएं कि कुंडली में बृहस्पति कमजोर है।
- विद्यार्थियों को शिक्षा ग्रहण करने में मुश्किलों का सामना करना पड़े और गुरु का सहयोग न मिले, तो यह दशा बताती है कि कुंडली में बृहस्पति कमजोर है।
- अगर खाना पचाने में दिक्कतों का सामना करना पड़े और कोई गंभीर रोग हो जाए , तो यह दशा भी कुंडली में बृहस्पति के कमजोर होने की ओर इशारा करती है।
- संतान से दुख प्राप्त हो और वह आपकी बात न सुने तो यह भी कुंडली में बृहस्पति के कमजोर होने का एक संकेत हो सकता है।
- कुंडली में बृहस्पति के कमजोर होने पर व्यक्ति अपने संस्कारों को भूल कर संतान से दुख प्राप्त संतान से दुख प्राप्त हो स्थिति में लोग ऐसे व्यक्ति से दूरियां बनाने लग जाते हैं।
बृहस्पति के अचूक ज्योतिष उपाय
कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत करने के उपाय
- ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह की स्थिति कुंडली में विवाह में देरी का कारण बन सकती है। इसलिए गुरुवार के दिन व्रत रखें। साथ ही, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें, जिससे गुरु ग्रह की स्थिति में सुधार हो सकता है। इसके अलावा, गुरु ग्रह की शांति के लिए पुखराज (यानी पीला सफायर) को पहनें क्योंकि पुखराज गुरु का प्रतीक होता है।
- ज्योतिष में गुरु को मजबूत करने के लिए हर गुरुवार को पीली चीजों का दान करें, जिससे गुरु ग्रह मजबूत होता है। आप बेसन, चने की दाल, केले, केसर आदि पीले रंग के फल और वस्त्र दान कर सकते हैं।
- कुंडली में गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए विष्णु की पूजा करें। साथ ही उन्हें बेसन के लड्डू के भोग के रूप में चढ़ाएं जो कि लाभकारी होगा। इससे आपके ग्रहों की दशा बदलेगी।
- गुरुवार के दिन ओम ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः मंत्र का जाप करने से गुरु ग्रह की स्थिति में सुधार हो सकता है।
- गुरु ग्रह के प्रभाव को शांत करने के लिए गरीबों को अन्न का दान करें। इसके अलावा, आप उन्हें सात्विक भोजन भी करवा सकते हैं। केसर का दान करने से भी गुरु ग्रह की स्थिति में सुधार हो सकता है क्योंकि केसर गुरु का प्रतीक माना जाता है।
- हमेशा सोने के गहने पहनें क्योंकि यह ग्रह के पूरक हैं।
- ज्योतिष के अनुसार कमजोर बृहस्पति को मजबूत बनाकर उसके शुभ फल पाने के लिए व्यक्ति को हर गुरुवार को विधि-विधान से व्रत रखना चाहिए और इस दिन बृहस्पति की देवता पीले फूल, पीले फल, पीली मिठाई आदि को चढ़ाकर उनकी विधि-विधान से पूजा करना चाहिए.
- गुरु ग्रह की शुभता को पाने के लिए गुरुवार के दिन चांदी की कटोरी में केसर डालकर सबसे पहले बृहस्पति देवता या फिर भगवान विष्णु को तिलक लगाना चाहिए, फिर उसके बाद प्रसाद स्वरूप अपने माथे पर ग्रहण करना चाहिए
गुरुवार के दिन क्या नहीं करें
- नाखून काटना
- शेविंग न करना
- बाल न कटवाना
- कपड़े न धोना और न ही इस्त्री करना