आपकी कुण्डली के दूसरे भाव में स्थित सूर्य आपको समृद्धशाली बना सकता है लेकिन यह तभी होगा जब आप ईश्वर पर विश्वास रखते हों। अन्यथा इस भाव में स्थित सूर्य धन संचय में परेशानियां उत्पन्न करता है। इस भाव में स्थित सूर्य आपको कई कामों में दक्षता देगा। आप उम्र के साथ-साथ आत्मनिर्भर होते जाएंगे। यदि आपका रुझान चित्रकला की ओर होगा तो आप इस कला में महारत हाशिल कर सकते हैं।
सूर्य की यह स्थिति स्वयं के अच्छे वाहन होने का संकेत कर रही है। आप सरकार से या सरकारी कामों से धन प्राप्त कर सकते हैं। तांबा, सोना या अन्य धातुओं के व्यापार के माध्यम से भी आप धन कमा सकते हैं। लेकिन यहां स्थित सूर्य आपको चेहरे या मुंह के रोग हो सकते हैं। आपको चीजों को समझने और अपनी भावनाओं को सही ढंग से औरों के सामने रखने में परेशानी हो सकती है। पारिवारिक संबंधों को लेकर भी मन में असंतोष रह सकता है।
आपके ननिहाल के लोग, विशेषकर मामा लोग समृद्ध होंगे। यह स्थिति आपके बेटी के ससुराल पक्ष की खुशहाली की भी संकेतक है। यदि आपने अपने खान-पान का उचित ध्यान नहीं रखा हो आपको अपच और उससे संबंधित कुछ अन्य रोग परेशान कर सकते हैं। आपके बच्चे खुशहाल और अच्छे होंगें लेकिन मध्यावस्था में जीवनसाथी का स्वास्थ्य प्रभावित रह सकता है।
ज्योतिष के अनुसार जिन भी जातकों की कुंडली में दूसरे भाव में यदि सूर्य ग्रह विराजमान होते हैं तो ऐसे जातक का व्यक्तित्व बहुत श्रेष्ठ माना जाता है। ये जातक अपने उच्च नैतिक गुणों के कारण लोकप्रिय और सबके बीच बहुत पसंद किए जाते हैं। सभी दूसरे लोग इनकी मित्रता बहुत पसंद करते हैं। ऐसे जातक अपने कार्य के प्रति बहुत समर्पित और अच्छी तर्क शक्ति रखने वाले होता हैं जिसके कारण दूसरे लोगों का इन पर उतना ही विश्वास रहता है।
ज्योतिष के अनुसार ऐसे लोग कभी अपने धन का दिखावा या घमंड नहीं करते हैं बल्कि वे किसी भी प्रकार के बाहरी दिखावे में विश्वास नहीं करते हैं। इनका कार्य के प्रति समर्पित और निरंतरता के प्रति अधिक झुकाव रहता है। दूसरी ओर, ऐसे जातक कला और प्रकृति में भी अधिक रुचि रखते हैं। वे सौंदर्यता और गुणवत्ता को अधिक महत्व देते हैं। ऐसे जातकों को दूसरों पसंद- नापसंद का भी विशेष ध्यान रहता है।
इसके अलावा जिनकी कुंडली में सूर्य दूसरे भाव में विराजमान होता है, उनके पास धन-संपदा की भी कोई कमी नहीं होती। वे स्वयं दूसरों के लिए एक मिसाल या सपने के समान होते हैं। सूर्य के शुभ प्रभाव के कारण इन जातकों की संपत्ति और समृद्धि के साथ-साथ इनके आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान भी बहुत तरक्की करता हैं। यही आत्मविश्वास इनके शानदार करियर निर्माण में सहायक होता है।
दूसरे भाव में स्थित सूर्य के नकारात्मक लक्षण
जिन जातकों की जन्म कुंडली के दूसरे भाव सूर्य स्थित होता हैं, उन्हें अपने वित्तीय मामलों में सतर्क रहने की आवश्यकता है। ऐसे जातकों को अत्यधिक भौतिक संपत्ति खरीदना या अर्जित करना नुकसानदायक हो सकता है , विशेष रूप से कोई बहुत महंगी वस्तु। इन जातकों के लिए kaha गया है कि हर सुन्दर वस्तु को हासिल करना आवश्यक नही होता है। ऐसे जातकों के लिए जहाँ तक संभव हो सके मितव्ययी होने का सुझाव दिया जाता है और साथ ही यह भी बताया गया है कि हर महँगी वस्तु गुणवत्ता वाली हो यह भी जरुरी नही होता इसलिए सतर्क रहें।
इसके साथ ही जन्म कुंडली के दूसरे भाव का सूर्य से प्रभावित जातक किसी भी कार्य को सही ढंग से करने के लिए हमेशा जल्दबाजी कर लेते हैं जो कई बार, इनके लिए भरी पड़ सकता है। यदि कोई दूसरा व्यक्ति इनके विचारों से सहमत नहीं हो तो ये जातक एक विरोधाभासी स्थिति में आ जाते हैं। ऐसे जातक जिनकी कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य विराजमान होता है, वे हमेशा परिस्थितियों से सुरक्षित और बच कर रहना चाहते हैं। इनका मानना है कि किसी भी ख़तरा या परेशानी उनके जीवन में नहीं होना चाहिए परन्तु इतनी अत्यधिक सुरक्षात्मक भावना का होना अच्छा नहीं माना जाता। हर समय सुरक्षात्मक दायरे में रहना व्यक्ति के विकास और सफलता में बाधक हो सकता है।
दूसरे भाव में सूर्य ग्रह का करियर\अर्थव्यवस्था\प्रेम संबंधों पर प्रभाव
- करियर
सूर्य के दूसरे भाव में होने से जातक को सांसारिक तथा भौतिकवाद की वस्तुओं के प्रति झुकाव बढ़ता है। ऐसे जातकों की शिक्षा और करियर पर उनके पिता का अधिक व्यय होता है। हालांकि कभी-कभी ये जातक अपने पिता के अत्यधिक प्रेम के कारण अभिमानी या बिगडैल स्वभाव के भी हो जाते हैं। इन जातकों को इनके बचपन से ही शिक्षा के सर्वोत्तम साधन प्राप्त होते हैं। जबकि ये जातक अपनी उच्च शिक्षा तथा श्रेष्ठ करियर हेतु विदेश भी जा सकते हैं।
- अर्थव्यवस्था
कुंडली के दूसरे भाव का सूर्य ग्रह के कारण जातक के करियर तथा व्यापार\व्यवसाय में शुभ प्रभाव होता है। कुंडली में सूर्य के दसवें भाव की स्थिति जो कि करियर का भाव होता है पांचवें स्थान पर होने के कारण जातक की किसी राजनीतिक या सरकारी के उच्च पद पर आसीन होने की संभावना को बढ़ाता है।
- प्रेम सम्बन्ध
जन्म कुंडली के दूसरे भाव का सूर्य जातक के प्रेम संबंधों के लिए कुछ हद तक प्रतिकूल हो सकता है। दूसरे भाव में सूर्य की अष्टम दृष्टि के कारण जातक के ससुराल पक्ष या कोई विरासत से संबंधित पक्ष प्रभावित होता है। सूर्य की उपस्थिति के कारण जातक में अति-आत्मविश्वास और अहंकार की भावना जन्म लेती है जो जातक के रिश्तों में कभी-कभी मनमुटाव की स्थिति को पैदा कर सकती है। ऐसे जातक अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेने के कारण कम उम्र में ही विवाह कर सकते हैं।
- निष्कर्ष
किसी जातक की जन्म कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य का होना यह दर्शाता है कि जातक अपेक्षाकृत रिश्तों और धन की दृष्टि से समृद्ध होंगे लेकिन कोई भी कार्य करने से पहले अत्यधिक उत्साही न बने इस बात का विशेष ध्यान रखें।
जन्मपत्री के द्वितीय भाव हेतु सूर्य ग्रह टोटके
नारियल, अखरोट व बादाम मंदिर में दान स्वरुप दें।
♦ स्त्री ऋण के उपाय करें।
♦ गेहूं, बाजरा किसी से भी दान में न लें।
♦ चावल, चांदी, दूध किसी से भी दान में न लें।
♦ पैतृक घर में जल स्रोत का निर्माण कराएं।
सूर्य ग्रह दूसरे भाव से संबंधित कुछ सवाल तथा उनके जवाब – FAQ
दूसरे भाव में सूर्य के प्रभाव में जातक का वैवाहिक जीवन कैसा होता है?
An- दूसरे भाव में सूर्य के प्रभाव में जातक का वैवाहिक जीवन सहज नहीं होता है या फिर दूसरे विवाह की भी संभावना हो सकती है।
Q- दूसरे भाव में सूर्य ग्रह क्या फल देते हैं?
An- दूसरे भाव में सूर्य ग्रह जातक को समृद्धशाली बनाते हैं।
Q- क्या, कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य ग्रह शुभ होते हैं?
An- हां, सामान्यतया कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य ग्रह शुभ फल ही देते हैं।
Q- कुंडली के दूसरे भाव में स्वामी ग्रह किसे कहा जाता है?
An- दूसरे भाव का स्वामी ग्रह शुक्र होता है और कारक ग्रह गुरु है।