यदि आप आकाश की ओर देख रहे हैं, और शुक्र ग्रह से कोई कामना कर रहे हैं, तो आपकी कामना पूरी हो सकती है। यह सच है, क्योंकि प्रेम का स्वामी आपको खाली हाथ नहीं छोड़ सकता। शुक्र हमारे तारकीय तंत्र का सबसे चमकीला आकाशीय पिंड है, और यह बुध के बाद सूर्य के सबसे निकट का ग्रह है। यह एकमात्र ग्रह है, जिसका नाम देवी के नाम पर रखा गया है। यह दैत्यों और राक्षसों के गुरु हैं। और इसलिए, इसे आमतौर पर शुक्राचार्य के रूप में जाना जाता है। साथ ही शुक्र ग्रह को योग का स्वामी भी कहा जाता है।शुक्र को दैत्यों का गुरू कहा जाता है। महाभारत कथा
के अनुसार शुक्र को शुक्राचार्य कहते हैं और ये दानवों के पुरोहित माने जाते हैं। इन्हें योग का आचार्य भी कहा जाता है। अपने शिष्य दानवों पर इनकी कृपादृष्टि बनी रहती है। भगवान शंकर की कठोर तपस्या कर शुक्राचार्य ने मृतसंजीवनी विद्या प्राप्त की, जिसके प्रभाव से वे मरने वाले राक्षसों को पुनः जीवित कर लिया करते थे। मत्स्यपुराण के अनुसार शुक्राचार्य ने असुरों के उद्धार के लिये कठोर व्रत का अनुष्ठान किया इस व्रत से देवादिदेव भगवान शंकर ने शुक्रचार्य को धन का अध्यक्ष भी बना दिया। इसी वरदान के आधार पर शुक्राचार्य पृथ्वीलोक और परलोक की समस्त सम्पत्तियों के स्वामी बन गए। महाभारत आदिपर्व के अनुसार केवल सम्पत्तियां ही नहीं, शुक्राचार्य
हमारी पृथ्वी की तरह शुक्र भी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाता है, लेकिन इसका एक दिन पृथ्वी पर पूरे साल के बराबर होता है। शुक्र एक राशि में लगभग 2-3 सप्ताह के लिए अपनी उपस्थिति दर्ज करता है। यह सबसे चमकीला ग्रह आपके प्रेम जीवन, रोमांस, मनोरंजन, संगीत और नृत्य से जुड़ा है। कुंडली में शुक्र ग्रह की उपस्थिति जातक के जीवन की अंतरंगता, यौन सुख और विलासितापूर्ण सुख-सुविधाओं का न्याय करता है।
हालांकि, यदि शुक्र आपकी राशि में कमजोर है, तो जातक में शारीरिक आकर्षण की कमी हो सकती है या असफल वैवाहिक जीवन हो सकता है।
विवाह जीवन सफल होगा,सन्तान सुख भी शुक्र ग्रह की कृपा से प्राप्त होता है।क्योंकि शुक्र ग्रह के द्वारा ही संतान उत्पति वाले शारीरिक गुण का मेल होता है। और उसके बाद स्त्री गर्भ धारण करती है।शुक्र ग्रह के द्वारा ही पता लगाया जाता है।कि ये स्त्री कब गर्भवती होगी। संतान सुख के बारे मे शुक्र ग्रह से ही पता चलता है कि संतान सुख किस तरह का होगा।
योग्य संतान के बारे पता लगाया जाता है। यदि शुक्र ग्रह आप की जन्म कुण्डली में अशुभ हो या शत्रु राशि में, अपनी नीच राशि, में स्थित हो तो जातक को अपने गृहस्थ जीवन में बहुत संघर्ष करना पडता है।शुक्र ग्रह की स्थिति अच्छी न होने के कारण ही उनका गृहस्थी में संतान की तरफ से चिंताए बनी रहती है। या तो संतान की उत्पत्ति नही हो पाती कहने का मतलब यह है।कि गर्भ धारण नही हो पाता या गर्भ धारण हो जाये लेकिन कुछ समय के बाद गर्भ ( खराब ) हो जाता है।तो समझ लो की आप का शुक्र ग्रह की स्थिति आप की जन्म कुण्डली, गोचर कुण्डली में ( चन्द्र कुण्डली ) में शुक्र अपना अच्छा फल नही दे पा रहा है।
इस शुक्र ग्रह के ठीक करने के लिए आप को या तो शुक्र ग्रह का मंत्र जप करें या करवाये, प्रत्येक दिन स्नान करें, शरीर का मैल निकाले, मैल जमा न होने दे। स्नान घर को स्वच्छ ( साफ )रखे। लकडी की चौकी को या किसी भी लकडी को सडने ,या गलने ना दे। हर शुक्रवार के दिन अपने कमरों की चादर, तकिये के छाड़ बदले धूले हुये बिछाये अपने शरीर पर सुगंधित द्रव्य जैसे की सैंट,पाउडर, तेल,परफीयूम का प्रयोग करे। अपने घर के कमरों पर भी सुंगधित अगरबत्ती-धूप, रूम फ्रैशनर का प्रयोग करे। अपने घर के कमरो को शुद्ध स्वच्छ रखे। अपने घर को सुन्दर सजा धजा कर दीवारो को भी सुन्दर रंग – कर के रखे।यदि ये उपाय आप अपने जीवन मे कर सकते हो तो आप शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव (अशुभ फल ) से अपना अपने परिवार का बचाव कर सकते।
शुक्र की महादशा के प्रभाव | Effects Of Shukra Mahadasha
माना जाता है कि शुक्र की महादशा लगभग 20 सालों तक रहती है. इस महादशा को सबसे ज्यादा समय तक रहने वाली महादशा भी कहते हैं. इसके अतिरिक्त शुक्र ग्रह (Shukra Grah) का कुंडली में उच्च होना शुभ मानते हैं और निम्न होने को अशुभ समझा जाता है. शुक्र की महादशा से प्रभावित व्यक्ति का जीवन अपार सुख-समृद्धि और खुशियों से भर जाता है. ऐसे व्यक्ति के जीवन में ऐश्वर्य रहता है और प्रेम जीवन में भरपूर मिलता है.
जिन लोगों से शुक्र देव नाराज होते हैं या जिनके जीवन में शुक्र का सकारात्मक प्रभाव नहीं होता है उनका जीवन मुश्किलों से भरा रहता है. जीवन में प्रेम का अभाव हो सकता है और खुशियों से व्यक्ति अपरिचित रह सकता है. ऐसे में शुक्र दोष हटाने और शुक्र देव को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं.
- शुक्र ग्रह को वृष राशि और तुला राशि का स्वामी माना गया है
- माना जाता है कि शुक्र भौतिक और सुख का प्रतीक होता है
पहने हीरा
रत्नों के आधार पर देखा जाए तो कमजोर शुक्र वालों को हीरा पहनना चाहिए, लेकिन हीरा पहनने से पहले ज्योतिष की परामर्श जरूर ले लेनी चाहिए। वे हीरे का साइज किस उंगली में पहनना है वह तारीख समय की जानकारी के अनुसार ही आपको पहनने की अनुमति देंगे।