क्या बताते हैं कुंडली के 12 भाव

इस भाव से जातक के खर्चो- अधिक होंगे या कम, कहां खर्चो होंगे, आय ज्यादा होगी या खर्चो, दरिद्रता, पाप, नुकसान इत्यादि का विचार होता हैं।

मस्तिष्क में अचानक उत्पन्न होने वाले विचारों

3. बोध भी इस भाव में होता है।

4. जातक की विदेश यात्राएं, से लाभ व हानि, विदेश निवास इत्यादि क ज्ञान द्वादश भाव से होता है।

5. जातक कंजुस है अथवा फिजुल खर्च, यह ज्ञान द्वादश भाव करता है।

6. बांयी आँख, पैर एवं गुप्त शत्रु का बोध भी द्वादश होता है।

7. जीवन के अंतिम समय का बोध होता है।

8. सपनों का विचार द्वादश भाव से होता है।

10. द्वादश भाव का कारक ग्रह शनि हैं।

11. द्वादश भाव का जल तत्व है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली का बारहवां भाव कुंडली का अंतिम भाव होने से जातक के जीवन का भी अंतिम भाग होता है। पहला भाव (लग्न) से गणना करने पर बारहवां भाव सबसे अंतिम भाव है;; उसी प्रकार लग्न जीवनारंभ का सूचक है; तो बारहवां भाव जीवन की समाप्ति को प्रदर्शित करता है। लग्न (पहला भाव) जातक की जीवन शैली है; तो उसकी ऊर्जा का पूर्ण समावेश निहित है।

कुंडली में बारहवां भाव: महत्व 

कुंडली में बारहवां भाव को एक अदृश्य क्षेत्र माना जाता है; जो सपनों, भावनाओं और रहस्यों जैसे भौतिक रूपों से रहित जातक में शामिल होता है। द्वादश भाव जातक के मन और अन्य दुर्भाग्यपूर्ण विवरणों को नियंत्रित करता है। इसके साथ ही यह जातक के डर, चिंता, गलतफहमी, संदेह, हीन भावना और अन्य तत्वों को प्रदर्शित करता है। एकांत, रहस्य, मौन, कष्ट और स्वयं को पूर्ववत करना इस भाव की प्रमुख विशेषताएं हैं। जातक द्वारा जीवन में प्राप्त धन, यश, प्रसिद्धि आदि की हानि या नाश बारहवें भाव में निहित है, इसलिए इस भाव को हानि या नाश का  स्थान भी कहते हैं।

वैराग्य भाव यानी कि ज्योतिष में 12वां भाव आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले लोगों के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा इस भाव का प्रभाव आश्रम, ध्यान केंद्रों व मठों एवं पूजा स्थलों पर भी पड़ता है। सपनों, भावनाओं और रहस्यों जैसे अदृश्य क्षेत्रों पर बारहवें भाव का ही नियंत्रण रहता है। यहां तक कि गुप्त चिंताएं, डर, तनाव, हीन भावना और सभी भाग्यशाली मामलों पर भी नियंत्रण बारहवें भाव का ही रहता है।

वैसे, आपकी कुंडली का जो यह अंतिम भाव है, यह भौतिक सुखों एवं आसक्तियों के बंधनों से आपकी आत्मा के आजाद होने के बारे में बताता है। हम सभी को यह मालूम है कि हम खाली हाथ आए हैं और खाली हाथ ही इस दुनिया से एक दिन चले भी जाएंगे।

चाहे लोभ हो या फिर प्रगति, सफलता हो या फिर यश, धन और संसार के बाकी मोह, ये सारी चीजें हमारे साथ केवल तभी तक हैं, जब तक हमारी सांसें चल रही हैं। सबसे ऊंचे स्तर पर हम विचार करें, तो हम यह पाते हैं कि बारहवां भाव इन भौतिकवादी सुखों को त्यागने की हमारे अंदर मौजूद क्षमताओं एवं इच्छाओं का निर्धारण करता है।

वैदिक ज्योतिष में बारहवें भाव का दुर्भाग्य, अशांत समय, चुनौतियों एवं खर्चो के साथ बहुत गहरा रिश्ता होता है। ग्रह जब इस भाव से गुजरता है तो इस बात की संभावना रहती है कि हमारे जीवन में काम करने वाले लोगों की ओर आकर्षित हो जाए। यही वजह है कि वैदिक ज्योतिष में बारहवें घर की एक महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।