केतु के दुष्प्रभाव से व्यक्ति को होने वाली समस्याओं

ज्योतिषशास्त्र में जिस प्रकार से सभी ग्रहों के गुण बताए गए हैं, वैसे ही उनके कमजोर होने से पैदा होने वाली समस्याओं के बारे में भी बताया गया है.ज्योतिष में कुल मिलाकर नौ ग्रह बताएं गए हैं। हर ग्रह अलग-अलग फल प्रदान करता है। इन्हीं ग्रहों में से होता है केतु, ज्योतिष में केतु को पापक ग्रह माना गया है। यह ग्रह हमेशा ही अशुभ फल नहीं देता हैं। इसकी सही स्थिति के कारण जातक अध्यात्म और धार्मिक कार्यों की ओर अग्रसर होता है लेकिन इस ग्रह के कुपित होने से जातक को जीवन में कई तरह की बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जब यह ग्रह कुपित हो जाता है, तब जातक के व्यवहार में विकार आने लगते हैं। इस ग्रह के कुपित होने पर पारिवारिक अशांति, रोग आदि कई चीजों का सामना करना पड़ सकता है। केतु को अनुकूल बनाने के लिए कई उपाय बताएं गए हैं, जिन्हें करने से आप केतु की खराब स्थिति से छुटकारा पा सकते हैं। राहु और केतु (Rahu Ketu) को छद्म ग्रह माना गया है, लेकिन इनकी खराब स्थिति के कारण जीवन में कई तरह की परेशा​नियां आती हैं. उन्नति नहीं होती है, घर में शांति नहीं होती और तो और शरीर में भी कई प्रकार के रोग लग जाते हैं. आप अपने गलत आचरण और व्यवहार के कारण भी केतु को खराब कर देते हैं. आइए जानते हैं खराब केतु के लक्षण और उसके कारण पैदा होने वाले रोग.

खराब केतु के लक्षण
1. यदि आप शादीशुदा है और आपके बच्चे हैं, तो उनसे आपका गलत बर्ताव केतु को खराब करता है.

2. घर के अंदर हमेशा लड़ाई-झगड़ा करने से भी केतु खराब होता है. घर में शांति बनाए रखना चाहिए.

3. यदि आपके घर का उत्तर-पश्चिम कोण या दिशा वास्तु दोष वाला है, तो यह केतु को खराब करता है.

4. जिन लोगों के सिर के बाल ज्यादा गिर रहे होते हैं, उनका भी केतु खराब हो सकता है.

5. केतु के दुष्प्रभाव से व्यक्ति को आग से जलने का भय होता है, उसका झुकाव जादू टोना, तंत्र आदि में होने लगता है.

6. खराब केतु के कारण कैंसर, हैजा, निमोनिया, दमा, त्वचा के रोग या मूत्र रोग हो सकते हैं.

7. जिन लोगों को पित्त रोग, बवासीर, छुआछूत आदि की बीमारी होती है, उनका भी केतु खराब होने का यह लक्षण हो सकता है.

8. खराब केतु के कारण शरीर में खुजली होना, चित्ती निकलना आदि भी हो सकता है.

9. जब केतु खराब होता है तो मन में अनावश्यक डर बना रहता है. दिमाग हमेशा नकारात्मकता की तरफ ही भागता है.

10. जो लोग अपने माता-पिता, बड़े-बुजुर्गों का सम्मान नहीं करते हैं, उनके कई सारे ग्रह खराब हो जाते हैं.

केतु कुपित होने पर जातक में झूठ, छल, कपट और किसी के प्रति षडयंत्र रचने के साथ काम वासना तीव्र होने जैसे अवगुण पैदा होने लगते हैं जिसके कारण जातक गलत कार्यों की ओर अग्रसर होने लगता है। जिसकी वजह से उसे कोर्ट कचहरी आदि के चक्कर तक काटने पड़ सकते हैं।  

केतु के अशुभ प्रभाव से वैवाहिक जीवन में अशांति, पिता के साथ मतभेद की स्थिति बन सकती है। ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली के लग्न में षष्ठम, अष्ठम तथा एकादश यानि ग्यारहवमें भाव में केतु की स्थिति को शुभ नहीं माना जाता है।

यदि आप केतु के अशुभ प्रभाव से पीड़ित हैं तो आपको लाल चंदन की माला किसी से अभिमंत्रित करवाकर धारण करनी चाहिए। यह कार्य शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार को करें।

केतु से पीड़ित जातक को उसके अशुभ प्रभावों के मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।

केतु को शांत करने के लिए  चीजें करे दान-

केतु ग्रह के अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए तिल, कम्बल, काले पुष्प, काले वस्त्र, उड़द की काली दाल, लोहा, काली छतरी आदि का वस्तुओं का दान करना चाहिए। 

किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार को असगंध की जड़ को केतु के मंत्र से अभिमंत्रित करके नीले धागे में धारण करनी चाहिए। इससे केतु के अशुभ प्रभावों में कमी आती है।

  1. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार केतु के कष्टों से बचने के लिए काले-सफेद कुत्ते को हर दिन खाने का कुछ हिस्सा जरूर दें. वहीं, अगर ऐसा संभव न हो तो काला और सफेद तिल बहते हुए जल में प्रवाहित करने से भी आपको बहुत हद तक लाभ होता है. जबकि, इसके दोष से बचने के लिए दान दक्षिणा फायदेमंद माना गया है. ऐसे में आप तिल, कपड़े, मूली, काजल आदि चीजों का दान करें.
  2. इसके अलावा केतु दोष से निजात पाने के लिए शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाना भी फायदेमंद माना जाता है. इस दौरान मंदिरों में जाकर शनिवार के दिन कंबल, छाता, लोहा, उड़द, गर्म कपड़े, कस्तूरी, लहसुनिया आदि का दान करना चाहिए.

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