कुंडली का दशम भाव  का महत्व व प्रभाव

जन्म कुंडली का सबसे महत्वपूर्ण भाव दशम भाव होता है। दशम भाव पिता, व्यापार, उच्च नौकरी, राजनीति, राजसुख, प्रतिष्ठा, विश्वविख्याति का कारक भाव माना जाता है। इसे कर्म भाव भी कहते हैं। जातक अपने कर्म से महान विख्यात एवं यशस्वी भी होता है और अपने पिता का नाम रोशन करने वाला भी होता है। 

दशमेश का मतलब होता है दशम भाव में जो भी राशि नंबर होगा, उस भाव के स्वामी को दशमेश कहा जाएगा। यथा दशम भाव में कुंभ यानी 11 नंबर लिखे होंगे तो उसका स्वामी शनि होगा। यदि इस भाव में 5 नंबर लिखा है तो सिंह राशि होगी, यदि 12 नंबर लिखा है तो मीन राशि होगी।

कुंडली के दशम भाव को कर्म भाव व पिता का भाव भी माना गया है। ऐसे में दशम भाव से पता चलता है कि व्यक्ति क्या करेगा, 

वहीं आय के भाव यानि ग्यारहवें भाव से पता चलता है कि व्यक्ति क्या कमाएगा और दूसरे भाव से पता चलता है कि व्यक्ति कितना बचा पाएगा।

जहां तक नौकरी या व्यवसाय का सवाल है तो कुंडली में दशम भाव बताता है कि व्यक्ति क्या करेगा? 

यदि दशम भाव में एक से अधिक ग्रह हों तो जो ग्रह सबसे बलवान होता है उसके अनुसार व्यक्ति का व्यापार होता है। जैसे दशम भाव में शुक्र हो तो व्यक्ति कॉस्मेटिक्स, सौंदर्य प्रसाधन, ज्वेलरी आदि का बिजनेस करता है। यदि दशम भाव में कोई ग्रह न हो तो दशमेश यानी दशम भाव के स्वामी के अनुसार बिजनेस तय होता है। यदि दशम भाव में मंगल हो तो व्यक्ति प्रॉपर्टी, निवेश आदि के कार्यों से लाभ अर्जित करता है। दशम भाव का स्वामी जिन ग्रहों के साथ होता है उनके अनुसार व्यक्ति व्यापार करता है।

व्यवसाय पर असर

सूर्य के साथ जो ग्रह स्थित हो वह भी व्यवसाय पर असर दिखाता है। जैसे सूर्य के साथ गुरु हो तो व्यक्ति होटल व्यवसाय, अनाज आदि के कार्य से लाभ कमाता है। एकादश भाव आय स्थान है। इस भाव में मौजूद ग्रहों की स्थिति के अनुसार व्यापार तय किया जाता है। सप्तम भाव साझेदारी का होता है।इसमें मित्र ग्रह हों तो पार्टनरशिप से लाभ। शत्रु ग्रह हो तो पार्टनरशिप से नुकसान। व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिए यदि आप एक सफल व्यवसायी बनना चाहते हैं तो जन्मकुंडली में शुभ योग तो होना ही चाहिए। साथ ही कुछ उपाय करके भी आप अपने व्यापार-व्यवसाय में तरक्की पा सकते हैं।

व्यापार का प्रतिनिधि ग्रह बुध होता है। बुध को मजबूत करना चाहिए। इसके लिए भगवान श्रीगणेशजी को प्रसन्न करें। प्रत्येक बुधवार गणेशजी को दुर्वा और बेसन से बनी मिठाई का भोग लगाएं।

दसवां घर या 10वां भाव मुख्य रूप से काम पर आपके व्यवहार और आपके द्वारा चुने गए करियर विकल्पों पर प्रकाश डालता है। यह धर्म या आपके परिवार से मिले ज्ञान के बारे में भी बात करता है। अत: आपको उनसे जुड़ा सम्मान, संस्कार और प्रतिष्ठा भी प्राप्त होती है।

इसके अलावा, शनि ग्रह का दसवें घर पर उच्च अधिकार है। इसका अर्थ यह है कि इस भाव में शनि का प्रभाव अधिक रूप से महसूस होता है। यह जातकों में अनुशासन और महत्वाकांक्षा लाता है। दसवें घर में, शनि उन लोगों को प्रेरित है जो अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दिन-रात प्रयास करते हैं, जबकि यह उन लोगों को कठोर सबक देता है जो आलसी होते हैं और अपनी जिम्मेदारियों की परवाह नहीं करते हैं।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्मकुंडली के जिस घर में कोई भी ग्रह नहीं होता है, उस ग्रह से संबंधित परिणाम प्राप्त तो होते हैं, लेकिन पूरी तरह वह ग्रह अपना फल नहीं दे पाता। कुंडली का जो घर खाली है, उसकी राशि के अनुसार परिणाम प्राप्त तो होते हैं, लेकिन आशा के अनुरूप जातक फल प्राप्त नहीं कर पाता।

क्या होता है जब दशम घर हो खाली 

दशम घर में यदि कोई ग्रह नहीं है तो जातक को जीवनभर आजीविका का संकट बना रहता है। जातक जो भी कार्य करता है, चाहे वह बिजनेस हो या जॉब, उसमें स्थायित्व नहीं रहता। दशम स्थान खाली होने पर जातक को कार्य के साथ बार-बार स्थान भी बदलना पड़ता है। वह आशातीत रूप से पद-प्रतिष्ठा प्राप्त नहीं कर पाता है। ऐसे जातक को बार-बार कर्ज लेने की नौबत आती है और चुका नहीं पाने के कारण कर्ज में डूबता जाता है। ऐसे जातक के जीवन में एक बार ऐसी स्थिति आती है जब उसे धन का मोहताज होना पड़ता है।

क्या करें जब दशम घर हो खाली 

दशम घर खाली होने पर जातक को कुछ उपाय नियमित रूप से करना चाहिए ताकि खाली घर के दुष्प्रभावों को कम किया जा सके। दशम घर खाली होने पर सबसे पहले जातक को सूर्यदेव की आराधना प्रारंभ कर देना चाहिए। इसके लिए प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य दें। नियमित रूप से शिवजी की आराधना करें। शिव के मंत्र ऊं नम: श्ािवाय की एक माला जाप करें। संभव हो तो सोमवार का व्रत करना शुरू कर दें। किसी ऐसे प्राण प्रतिष्ठित शिवलिंग पर चांदी का नाग अर्पण करें जहां पहले से नाग नहीं लगा हुआ हो। मास शिवरात्रि पर भगवान शिव को 108 बिल्वपत्र अर्पित करें। पिता या पिता के समान आयु के बुजुर्गों की सेवा करें।